ऋग्वेद के 10वें मंडल का यह 191वां सूक्त ऋग्वेदका अंतिम सूक्त है । इस सूक्त में सबकी अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाले अग्निदेव की प्रार्थना, आपसी मतभेदों को भुलाकर सुसंगठित होने के लिए की गयी है ।
॥3॥ हम सबकी प्रार्थना एकसमान हो, भेद-भाव से रहित परस्पर मिलकर रहें, अंतःकरण मन-चित्त-विचार समान हों । मैं सबके हित के लिए समान मन्त्रोंको अभिमंत्रित करके हवि प्रदान करता हूँ ।
॥4॥ तुम सबके संकल्प एकसमान हों, तुम्हारे ह्रदय एकसमान हों और मन एकसमान हों, जिससे तुम्हारा कार्य परस्पर पूर्णरूपसे संगठित हों ।
-Soumanasya Sukta in hindi
-Soumanasya Sukta translation
-Rigveda sukta in hindi
संसमिद्युवसे वृषन्नग्ने विश्वान्यर्य आ ।
इळस्पदे समिध्यसे स नो वसून्या भर ॥1॥
सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते ॥2॥
समानो मन्त्रः समितिः समानी समानं मनः सह चित्तमेषाम् ।
समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः समानेन वो हविषा जुहोमि ॥3॥
समानी व आकूतिः समाना हृदयानि वः ।
समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ॥4॥
सौमनस्यसूक्त का हिंदी अनुवाद:
॥1॥ समस्त सुखोंको प्रदान करने वाले हे अग्नि ! आप सबमें व्यापक अंतर्यामी ईश्वर हैं । आप यज्ञवेदीपर प्रदीप्त किये जाते हैं । हमें विभिन्न प्रकार के ऐश्वर्योंको प्रदान करें ।
॥2॥ [हे धर्मनिरत विद्वानों !] आप परस्पर एक होकर रहें, परस्पर मिलकर प्रेम से वार्तालाप करें । समान मन होकर ज्ञान प्राप्त करें । जिस प्रकार श्रेष्ठजन एकमत होकर ज्ञानार्जन करते हुए ईश्वर की उपासना करते हैं, उसी प्रकार आप भी एकमत होकर व् विरोध त्याग करके अपना काम करें ।॥3॥ हम सबकी प्रार्थना एकसमान हो, भेद-भाव से रहित परस्पर मिलकर रहें, अंतःकरण मन-चित्त-विचार समान हों । मैं सबके हित के लिए समान मन्त्रोंको अभिमंत्रित करके हवि प्रदान करता हूँ ।
॥4॥ तुम सबके संकल्प एकसमान हों, तुम्हारे ह्रदय एकसमान हों और मन एकसमान हों, जिससे तुम्हारा कार्य परस्पर पूर्णरूपसे संगठित हों ।
-Soumanasya Sukta in hindi
-Soumanasya Sukta translation
-Rigveda sukta in hindi
2 Comments
Such a nice, I m totally impressed ☺️☺️☺️👍👍👍
ReplyDeleteI am impressed a nice article, a befitting reply to the Leftists and European historians.
ReplyDelete