जीवन का सबसे बड़ा सच और रहस्य - मौक्ष, पुनर्जन्म और मौत

अक्सर लोग कहते हैं की जीवन का सबसे बड़ा सत्य है - मौत, अगर हाँ तो उसके बाद क्या? स्वर्ग और नर्क क्या हैं? इंसान मौक्ष की प्राप्ति कैसे करता है?

हिन्दू धर्म और विश्व के विभिन्न धर्मो और उनके महान प्राचीन ग्रंथो में जीवन के रहस्य और स्वर्ग जैसी बातो का वर्णन किया गया है जिसमे काफी बातें एकसमान हैं।  ऐसी मान्यता है कि इन ग्रंथो का सारा ज्ञान देवताओं द्वारा खुद दिया गया था।

पुनर्जन्म चक्र - इन ग्रंथों के मुताबिक नर्क यहीं है पृथ्वी पर।  हम सब पुनर्जन्म के चक्र में फसे हुए हैं। हमें करोड़ों बार जन्म और मरण की पीड़ा से गुजरने के बाद इंसान का जन्म मिलता है जैसा की हिन्दू धर्म में भी वर्णित है।  मतलब हमें हजारों सालों बाद मौक्ष का मौका मिलता है इंसानी जीवन के रूप में।


स्वर्ग, नर्क और मौक्ष - ये इंसानी जीवन हमें एक ऐसे मौके के रूप में मिलता है जिसमें हम इस पुनर्जन्म चक्र रुपी नर्क से मुक्ति(मौक्ष) पा सकें।  अपने इंसानी जीवन में सफल होने पे हर मनुष्य स्वर्ग का हक़दार बनता है और इसी को हम मौक्ष भी कहते हैं, मतलब पुनर्जन्म चक्र से मुक्ति, अन्यथा मनुष्य को जन्म और मृत्यु की पीड़ा का सफर जारी रखना पड़ता है क्योंकि आत्मा तो अमर होती है।

मौक्ष की प्राप्ति - हमारे जीवन से तुलना की जाए तो आत्मा अनंत तक रहती है, मतलब जो व्यक्ति स्वर्ग में जाता है वो वहां अनंत तक रहता है।  इसलिए अनंत तक आनंदमयी रूप से स्वर्ग में रहने के लिए किसी को भी अपने लालच और कामनाओं पे काबू करना आवश्यक है।  इसका मतलब साफ़ है की स्वर्ग में जाने और मौक्ष की प्राप्ति के लिए वही व्यक्ति योग्य होगा जो अपने लालच और कामनाओं पर काबू पा ले और सुख-दुःख को एकसमान समझे।
इंसान की जिंदगी में इतने लक्ष्य होते हैं की वो कभी खुश ही नहीं रह पाता।  ९०% तनाव और दुःख सिर्फ हमारे सोचने के तरीके और जीवनशैली पर निर्भर करता है। सिर्फ भारत में ही हर साल हज़ारों लोग कुपोषण और भूक से मर जाते हैं, कोई ज़रा उनसे पूछे की उनके जीवन का क्या लक्ष्य है तो उनका बस एक ही जवाब होगा - पेट भर के खाना।
ये बात भी सच है की अगर इंसान में आगे बढ़ने की चाह न होती तो आज हम अपने जीवन में इतनी तरक्की और सुख सुविधाएं न जुटा पाते, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की हम अपनी इंसानियत और समझ को किनारे रखकर, लालच और कामनाओं को ही अपनी जिंदगी बना लें, क्योंकि इनकी कोई सीमा नहीं होती जिससे हमें केवल असन्तुष्टि ही प्राप्त होती है।

इसलिए कृपया अधर्म , अविद्या, कुसंस्कार, बुरे व्यसनों से अलग रहें और सय्तभाषण, परोपकार, विद्या, पक्षपातरहित न्याय, धर्म की वृद्धि में अपना आचरण रखें।

मुक्ति किसको कहते हैं?
जिस से छूट जाना हो उस का नाम मुक्ति है।
किस से छूट जाना?
जिस से छूटने की इच्छा सब जीव करते हैं।
किस से छूटने की इच्छा करते हैं?
जिस से छूटना चाहते हैं।
किस से छूटना चाहते हैं?
दु:ख से। 
छूट कर किसको प्राप्त होते हैं और कहाँ रहते हैं?
सुख को प्राप्त होते और ब्रह्म में रहते हैं।
मुक्ति किस को प्राप्त नहीं होती?
जो अधर्म और अज्ञान में फसा हुआ जीव है।




























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45 Comments

  1. जी हाँ, आत्मचिंतन अतिआवश्यक ! धन्यवाद

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    1. kya murti pooja kaha tak sahi hai jis murti ko insan khud banata hai usi ke aage jhukta hai ye sahi kese ho sakta hai wo murti jisko har waqt hamari jarurat hai ham usi ke aage jhukte hai kya croro bhagwan ho sakte hai

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    2. Jagah koi bhi ho, tarike alag ho, Mandir-Masjiz ya koi murti-pujan, ek sacchi shradha hi hume bhagwan ke kareeb lati hai.
      Geeta, quran ya murtiya, sab insan hi banate hain, na jaane wo kitne papi hatho se gujar ke aati hain, isse unki pavitrata kam nahi hoti.
      So, just be positive and do whatever you want to do mahhn!! :-)

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    3. yr mohsin hmare hindu dhrmrme to sbki ijjt krna sikhaya jata h ki koi v dhrm ho usko ijjt kro lekin kuchh log apne ghr me nahi dekhte aur dusro k ghro me dekhne ki aadt rhti h unlogo ki to apka kam h wo kro Hindu dhrm k chhkr me mt pdo kyun na tum log smjh skte ho aur nahi hm smjha skte h .kyun ki hr dhrm ki kuchh bate kitabe koi insan hi likha h aur uska najriya abi k according nahi hoga wo apni bat likha h to jisko jo maaannaaa h mane n yr kyun ldna

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    4. Md. Kuresi main ap Ki bat se sehmat Hu lekin dristikon se nahi. Pehla javab to ye murti puja Kisi bhagwan Ki nnahi hoti ye kuchh kamiya pandito Ki rahi h. Murti bana kar Kisi Ke parti sammman parkat kiya jata h Vo chahe raja ho ya koi achha sant udharan main kahi Dr. Abdul kalam Ki agar tasveer dekhu to uske bare me janane Ki ya uske vyktitav. Se Shiksha lene Ki kosis. Karunga koi.murti puja nahi. Rahim sacche muslmaan de leki krishan bhagt the.
      2 javab. Krodo devta ka malab crores se nahi h Vo Vo sab jis se ham banne h.1krod=1 hi hota h 26krod devta ka matab hai jal, vayu,parkash,Surya,thal,vanaspati Adi hain

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    5. अगर हिंदू धर्म बुरा है :-
      (1) तो क्यो
      "नासा-के-वैज्ञानीको"
      ने माना की
      सूरज
      से
      ""
      " ॐ "
      " "
      की आवाज निकलती है?
      (2) क्यो 'अमेरिका' ने
      "भारतीय - देशी - गौमुत्र" पर
      4 Patent लिया ,
      व,
      कैंसर और दूसरी बिमारियो के
      लिये दवाईया बना रहा है ?
      जबकी हम
      " गौमुत्र "
      का महत्व
      हजारो साल पहले से जानते है,
      (3) क्यो अमेरिका के
      'सेटन-हाल-यूनिवर्सिटी' मे
      "गीता"
      पढाई जा रही है?

      (4) क्यो इस्लामिक देश 'इंडोनेशिया'. के Aeroplane का नाम
      "भगवान नारायण के वाहन गरुड" के नाम पर "Garuda Indonesia" है, जिसमे garuda का symbol भी है?

      (5) क्यो इंडोनेशिया के
      रुपए पर
      "भगवान गणेश"
      की फोटो है?

      (6) क्यो 'बराक-ओबामा' हमेशा अपनी जेब मे
      "हनुमान-जी"
      की फोटो रखते है?

      (7) क्यो आज
      पूरी दुनिया
      "योग-प्राणायाम"
      की दिवानी है?

      (8) क्यो भारतीय-हिंदू-वैज्ञानीको"
      ने
      ' हजारो साल पहले ही '
      बता दिया की
      धरती गोल है ?

      (9) क्यो जर्मनी के Aeroplane का
      संस्कृत-नाम
      "Luft-hansa"
      है ?

      (10) क्यो हिंदुओ के नाम पर 'अफगानिस्थान' के पर्वत का नाम
      "हिंदूकुश" है?
      (11) क्यो हिंदुओ के नाम पर
      हिंदी भाषा,
      हिन्दुस्तान,
      हिंद महासागर
      ये सभी नाम है?
      (12) क्यो 'वियतनाम देश' मे
      "Visnu-भगवान" की
      4000-साल पुरानी मूर्ति पाई
      गई?
      (13) क्यो अमेरिकी-वैज्ञानीक
      Haward ने,
      शोध के बाद माना -
      की

      "गायत्री मंत्र मे " 110000 freq "

      के कंपन है?

      (14) क्यो 'बागबत की बडी मस्जिद के इमाम'
      ने
      "सत्यार्थ-प्रकाश"
      पढने के बाद हिंदू-धर्म अपनाकर,
      "महेंद्रपाल आर्य" बनकर,
      हजारो मुस्लिमो को हिंदू बनाया,
      और वो कई-बार
      'जाकिर-नाईक' से
      Debate के लिये कह चुके है,
      मगर जाकिर की हिम्म्त नही हुइ,

      (15) अगर हिंदू-धर्म मे
      "यज्ञ"
      करना
      अंधविश्वास है,
      तो ,
      क्यो 'भोपाल-गैस-कांड' मे,
      जो "कुशवाह-परिवार" एकमात्र बचा,
      जो उस समय यज्ञ कर रहा था,

      (16) 'गोबर-पर-घी जलाने से'
      "१०-लाख-टन आक्सीजन गैस"
      बनती है,

      (17) क्यो "Julia Roberts"
      (American actress and producer)
      ने हिंदू-धर्म
      अपनाया और
      वो हर रोज
      "मंदिर"
      जाती है,

      (18)
      अगर
      "रामायण"
      झूठा है,
      तो क्यो दुनियाभर मे केवल
      "राम-सेतू"
      के ही पत्थर आज भी तैरते है?

      (19) अगर "महाभारत" झूठा है,
      तो क्यो भीम के पुत्र ,
      ''घटोत्कच''
      का विशालकाय कंकाल,
      वर्ष 2007 में
      'नेशनल-जिओग्राफी' की टीम ने,
      'भारतीय-सेना की सहायता से'
      उत्तर-भारत के इलाके में खोजा?

      (20) क्यो अमेरिका के सैनिकों को,
      अफगानिस्तान (कंधार) की एक
      गुफा में ,
      5000 साल पहले का,
      महाभारत-के-समय-का
      "विमान"
      मिला है?

      ये जानकारिया आप खुद google मे search कर
      सकते है . .....हनुमान चालीसा में एक श्लोक है:-
      जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु |
      लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
      अर्थात हनुमानजी ने
      एक युग सहस्त्र योजन दूरी पर
      स्थित भानु अर्थात सूर्य को
      मीठा फल समझ के खा लिया था |

      1 युग = 12000 वर्ष
      1 सहस्त्र = 1000
      1 योजन = 8 मील

      युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
      12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील

      1 मील = 1.6 किमी
      96000000 x 1.6 = 1536000000 किमी

      अर्थात हनुमान चालीसा के अनुसार
      सूर्य पृथ्वी से 1536000000 किमी की दूरी पर है |
      NASA के अनुसार भी सूर्य पृथ्वी से बिलकुल इतनी ही दूरी पर है|

      इससे पता चलता है की हमारा पौराणिक साहित्य कितना सटीक एवं वैज्ञानिक है ,
      इसके बावजूद इनको बहुत कम महत्व दिया जाता है |
      .
      भारत के प्राचीन साहित्य की सत्यता को प्रमाणित करने वाली ये जानकारी अवश्य शेयर करें |
      ����जय श्रीहरिः����
      Kk

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    6. Great knowledge mere Bhai , thank you so much

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  2. mere pyare bhaiyon pahale insan ko apne ap ki pahchan honi chahiye.. kay ap bata sakate he ki ap kon he.. hum us parmatma ke bacche he jisne hum sabhi ko jivan diya matlab jo sabhi ko janam dete he vo ( mata pita ) saman parmatma hi hamare janam data he or apne mata pita ko baccha kahi se bhi kese bhi bulye mata pita jaroor daude chale ate he..or hum sab ek hi mata pita ke bacche he..pyaarre bacche..

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  3. masjid mein bhi hain khuda mandir mein bhi ram hai, dono nahi hain patharon mein sirf unake naam hain.bhagwan allah ya god pani ki tarah hain jise hum sab alag alag namose janate hain india mein bhi pani pite hain london mein bhi pani hi pite hai, aur saudi arabia ya is sansar ki koi bhi jagah ho sab pani hi pite hain .

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  4. sarva deva namaskara keshava pratigachhati. aap kisi bhi bhagwan ki pooja kare to aapki prarthana croro bhagwan nahi balki ek bhagwan ke paas jati hain .kyon ki jitane bhi bhagwan ya devi devata jo alag alag namose log manate hain sare ek hi hain.

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  5. bhagwan allah ya god ko manane tarike alag ho sakate hain lekin bhagwan alag alag nahi hote. sabaka malik ek hain.

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    1. But we all should understand The Geeta Correctly, coz its clearly written in The Geeta about Murti Pooja, God says he is the only creator of every thing and he hates Idol worship or murti pooja

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    2. But we all should understand The Geeta Correctly, coz its clearly written in The Geeta about Murti Pooja, God says he is the only creator of every thing and he hates Idol worship or murti pooja

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    3. aur vedo main b sirf onkar ko hi manne ke liye kha gaya hai .ik jiss ka na koi akar hai na koi roop hai. but hame kise ko adar banna hai bagwan tal pochne ke liye is liye hum murti se baat karte hai pooja karte hai..

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  6. qureshi ji, aapka sawal ka uttar agar apko sahi mai janna hai toh fir apko HINDU dharm aur iski sanskritiko sahi tarha janna padega. HINDU dharm ekmatra dharm hai jiske sansksro mai, bigyan, monobigyan, samaj bigyan sabka dhyan rakha gaya hai. Hamare jo v sanskar hai wo muni -rishiyo ke den hai, wo log bohot hi gyani aur durdarshi the. Murti puja ka sanskar unhi logone diya, murti puja sirf ek murti ka puja nahi hai balki us murti mai chipe biswas aur bharosa ka puja hai.
    (i) ek matra HINDU dharm mai bhagana ki astiyt dikhay deti hai isiliye murti puja hai, baki dharm mai dharm prachark dikhay deta hai par unke bhagawan ka koi astiwat nahi hai. sayed hindu bhagawan hi unke v bhagwan hai, isiliye wo samne nahi la pate. ( jaise ki makka-madina mai bhagawan SHIVA ka pujan hota hai. )
    (ii) adhyatta dhyan par hi kendrit hota hai, apke samne dhyan kandrit karne ke liye, kisi aur jagat mai kho jane ke liye kisi ki upasthiti ki jarurat hoti hai, MURTI uski kam karti hai.
    (iii) Samajik dristikon se dekha jaye toh murti puja samaj ke do kuch bargo ke insan ke rojgar deta hai, DIRECTLY - (a) murti banane walo (b) pujari (c) bal-nakhun katnewalo nai (d) bajane wale INDIRETLY- lagbhag samjke har barg ko fayda pouchata hai.
    (iv) Murti puja utsab ka mahol payda karta hai, humsab mai urja ka sanchar karta hai.
    (v) Murti puja hamare itihash ko sajoy kar rakhta hai. Ek anpar log ko v humare itihas aur sanskar ki path padata hai.
    (vi) Murti puja bhagawan ko humare aur karib lata hai, wo hum maise hi ek hai yeh ehsas dilata hai. ( Jabki dusre dharme bhagawan ko bhot hi alag karke dikhya jata hai. Bohot dur ke dikhay dete hai, unke pracahrak logo ke bich aate hai, jabki hamare bhagawan khud humare bich ate hai )
    (vii) Murti puja hume pidi dar pidi apne bhagawan se parichay karbate hai. Ek matra hindu dharm mai BHGAWAN ka astiyat hai, baki dharm mai bhagawan kalpanik hai iss baat ka eahsas dilata hai.
    (viii) Murti puja bhagawan ko aur karib lane ka, aur apna banane ka ek madham hai, isliye murti puja jaruri hai.
    (ix) HINDU dharm mai bhagawan ka astiyatta hai isliye hum unke murti bana sakte hai, baki dharm mai jo hai hi nahi uski murti aap kaise banaoge?


    ------------------ avi chahu toh aur v bohot karn aapke samne rakh sakta hu, jise dhyan rakhte huye humare muni rishiyo ne hume iss sankar diya hai. par mujhe lagta hai samajhdaro ke liye itna kafi hai, yeh sab baat gahrayse samjhne ki kosis kijiye apko hindu dharm aur usme chpe huye gyan aur sachhika avhas ho jayega.

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    1. bahut achhe aap ke jaise hi tark purna insaan hain to hindu dharm ki kabhi hani ni ho sakti.
      aapne bahut achha samajhaya.

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    2. But we all should understand The Geeta Correctly, coz its clearly written in The Geeta about Murti Pooja, God says he is the only creator of every thing and he hates Idol worship or murti pooja

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    3. But we all should understand The Geeta Correctly, coz its clearly written in The Geeta about Murti Pooja, God says he is the only creator of every thing and he hates Idol worship or murti pooja

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    4. sir kya main app se baat kar sakta ho plz contact with me app ki baat ka mujpe bohat asar hoya hai..my emil is sharmaricky909@gmail.com plz contact me sir

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    5. Main Aapse puchhna chahunga ki agar Cycle chalate waqt Cycle ke tyre puncture ho jaaye to Hum Puncture waale ke pass jaate hai haalaki hawa har jagah hai lekin kya vo hawa hum uss tyre mein bhar sakte hai kya... nahi... uske liye humein saadhan ki jaroorat hogi atev Bhagwan ki archana ke liye bhi Saadhan Mandir ke andar Rakhi Murti Hoti hai Manyawar.

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  7. Waaah kya baat @janardan gorai.....

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  8. Waaah kya baat @janardan gorai.....

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  9. उत्तम अतिउत्तम ।

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  10. उत्तम अतिउत्तम ।

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  11. hum chahe murti puja na kare per us bhagwan per viswas jarur kare.

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  12. But we all should understand The Geeta Correctly, coz its clearly written in The Geeta about Murti Pooja, God says he is the only creator of every thing and he hates Idol worship or murti pooja

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    1. You are very correct Ms. Reena that God is the only creator of everything. (But He hates murti puja or not is to be understood correctly). Geeta is a part of Mahabharata and you know Eklavy, when he was denied the weapon education by Guru Dronacharya , Eklavy in his heart assumes him as his guru and make a idol of him and consider him giving him the education. By his this belief and practice of arms he became a very powerful soldier.Idol was a simple thing but the belief that his guru is with him helped him to become a better danurdhar than Arjuna. If we believe that the God exists then you worship Him in any way ( be it murti puja, be it in just heart, be it in any way} your prayers are heard by Himself only.

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  13. But we all should understand The Geeta Correctly, coz its clearly written in The Geeta about Murti Pooja, God says he is the only creator of every thing and he hates Idol worship or murti pooja

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  14. Kya life me kisi AK goal ko pane se laalach utpan to nahi hoti

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  15. ये धर्म केवल कुछ लोगों तक रहगया है हमारा धर्म जीवन को सुखद बनाता है परइसका
    बौद्धिक पक्ष दबा है |

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    1. जीवन का सबसे बड़ा सच और रहस्य - मौक्ष, पुनर्जन्म और मौत..
      अक्सर लोग कहते हैं की जीवन का सबसे बड़ा सत्य है - मौत, अगर हाँ तो उसके बाद क्या? स्वर्ग और नर्क क्या हैं? इंसान मौक्ष की प्राप्ति कैसे करता है?

      हिन्दू धर्म और विश्व के विभिन्न धर्मो और उनके महान प्राचीन ग्रंथो में जीवन के रहस्य और स्वर्ग जैसी बातो का वर्णन किया गया है जिसमे काफी बातें एकसमान हैं। ऐसी मान्यता है कि इन ग्रंथो का सारा ज्ञान देवताओं द्वारा खुद दिया गया था।

      पुनर्जन्म चक्र - इन ग्रंथों के मुताबिक नर्क यहीं है पृथ्वी पर। हम सब पुनर्जन्म के चक्र में फसे हुए हैं। हमें करोड़ों बार जन्म और मरण की पीड़ा से गुजरने के बाद इंसान का जन्म मिलता है जैसा की हिन्दू धर्म में भी वर्णित है। मतलब हमें हजारों सालों बाद मौक्ष का मौका मिलता है इंसानी जीवन के रूप में।

      स्वर्ग, नर्क और मौक्ष - ये इंसानी जीवन हमें एक ऐसे मौके के रूप में मिलता है जिसमें हम इस पुनर्जन्म चक्र रुपी नर्क से मुक्ति(मौक्ष) पा सकें। अपने इंसानी जीवन में सफल होने पे हर मनुष्य स्वर्ग का हक़दार बनता है और इसी को हम मौक्ष भी कहते हैं, मतलब पुनर्जन्म चक्र से मुक्ति, अन्यथा मनुष्य को जन्म और मृत्यु की पीड़ा का सफर जारी रखना पड़ता है क्योंकि आत्मा तो अमर होती है।

      मौक्ष की प्राप्ति - हमारे जीवन से तुलना की जाए तो आत्मा अनंत तक रहती है, मतलब जो व्यक्ति स्वर्ग में जाता है वो वहां अनंत तक रहता है। इसलिए अनंत तक आनंदमयी रूप से स्वर्ग में रहने के लिए किसी को भी अपने लालच और कामनाओं पे काबू करना आवश्यक है। इसका मतलब साफ़ है की स्वर्ग में जाने और मौक्ष की प्राप्ति के लिए वही व्यक्ति योग्य होगा जो अपने लालच और कामनाओं पर काबू पा ले और सुख-दुःख को एकसमान समझे।
      इंसान की जिंदगी में इतने लक्ष्य होते हैं की वो कभी खुश ही नहीं रह पाता। ९०% तनाव और दुःख सिर्फ हमारे सोचने के तरीके और जीवनशैली पर निर्भर करता है। सिर्फ भारत में ही हर साल हज़ारों लोग कुपोषण और भूक से मर जाते हैं, कोई ज़रा उनसे पूछे की उनके जीवन का क्या लक्ष्य है तो उनका बस एक ही जवाब होगा - पेट भर के खाना।
      ये बात भी सच है की अगर इंसान में आगे बढ़ने की चाह न होती तो आज हम अपने जीवन में इतनी तरक्की और सुख सुविधाएं न जुटा पाते, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की हम अपनी इंसानियत से ऊपर उठकर अपने लालच और कामनाओं को ही अपनी जिंदगी बना लें, क्योंकि इनकी कोई सीमा नहीं होती जिस्से हमें केवल असन्तुष्टि ही प्राप्त होती है।

      मुक्ति किसको कहते हैं?
      जिस से छूट जाना हो उस का नाम मुक्ति है।
      किस से छूट जाना?
      जिस से छूटने की इच्छा सब जीव करते हैं।
      किस से छूटने की इच्छा करते हैं?
      जिस से छूटना चाहते हैं।
      किस से छूटना चाहते हैं?
      दु:ख से।
      छूट कर किसको प्राप्त होते हैं और कहाँ रहते हैं?
      सुख को प्राप्त होते और ब्रह्म में रहते हैं।
      मुक्ति किस को प्राप्त नहीं होती?
      जो अधर्म और अज्ञान में फसा हुआ जीव है।

      अर्थात अधर्म , अविद्या, कुसंस्कार, बुरे व्यसनों से अलग रहें और सय्तभाषण, परोपकार, विद्या, पक्षपातरहित न्याय, धर्म की वृद्धि में अपना आचरण रखें।

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  16. ek yahi wo dharm h jo apni vastvik sachai btati hai ki hum ne aise suru kiya tha aur hum yha tak pahuche h ...... ek yhi wo dharm hai jo kisi se tulna nhi karta kyo ki yah (hindutaw) janta h ki tulna unse karte h jo unse pahle ho aur wastvik ho .....
    hindutaw hi hai jo wastvik me ensaniyat ko bachane ka akhiri tarika h esme bhagwan ki sachchi puja.....!
    bhagwan ki bane es duniya ka samman aur us pe biswash karna hi wastvik puja kahlati hai. jaisa ki hamre garnth me likha h aur hamre purwaj btate hai tatha hum wo karte aye h.jaise ki hum ped-poudho ki puja karte h, nadi ki puja karte h, kyo......?
    kyo ki puja ka wastvik arth kya h .......?
    aur hum me se kisi ne bhagwan ko nhi dekha fir bhi hum unki puja karte h......?
    kyoo.........?
    bhagwan se hamra matalb wo sakti jo hume jiwan deti h jo hamri palan posan karti h (arthath wo divay sakti jo achchhe ke liye h hum uski puja karte h )
    bhagwan ne hum ensan ko banaya aur jiwan diya aur es jiwan chakr ko chalane ke liye baki tamma jiv bnaye jisse ki hamara jiwan chakr chal sake. es jiwan chakr me kuchh chije aisi h jo eswal ki sabse achhi chij h jo hame jivit rakhti h wo kya hai.......?
    jal, hawa......... ye hame kaha se milti h .... jal jo hame nadiyo se milti hai. bina jal ham ji nhi sakte ....... to jo jiwan deti h wo esawar ka rup hai esliye ham nadi ki puja karte hai. hawa hame pedo se milti h jiske bagair jiwan sayad ek pal na chal sake esliye hum ped ki puja karte h ..........
    chuki pedo me sabse ksheth bargad aur nadiyo me ksheth maa ganga ko mana gya h esliye hum eski puja karte hai.

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  17. धन्यवाद लेखक जी

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  18. Mai keval itana kahna chahta hu ki keval apane liye kia gaya karm jaise sharab pina, meat khana, gali bakna moksh prapti me badhak ho sakte hain. Jabki iske viprit vahi vyakti daan, daya, paropkar, lalach vihin ityadi sadguno se bharpoor hai. Ham chahe apni personal life ko kitna hi ganda kyo na kar de lekin uparyukt sadgun ham me vidyaman hain to hame moksh avashya milega. Yadi mrityu ke bad atma asantusht rah gayi to moksh kabi bhi nahi milega. Kahate hain na jivan ek hi bar milta hai jo karana hai karlo , thik hai karo lekin dusare ke hit ko dhyan me rakte huye jo apni ichchha purti me dusaro hit dyan nahi Rakhta hai uski durgati to jite ji ho jati hai .

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  19. JAI SHRI KRISHNA APNI APNI SOCH PAR NIRBHAR KARTA HE,kYA NARK He,kya suvrg he,sab hamhare tumhare samne,jo achcha karta he or achcha pata he vahi swarg he,jo kharab karta he or jiske sath paresaniya ati he vahi narak ka sikar hota he.or kuch alag ni he .achchi soch achcha result.

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  20. मैनें किसी महान व्यक्ति के मुख से ये बात सुनी थी कि
    विद्या विवादाय, धनम् मदाय, शक्ति परेशांम् पर पीडनाय्, ग्यानाय्, दानाय्,च रक्षणाय् अर्थात -विद्या विवाद के लिए नहीं बल्कि ग्यान देने के लिए,धन(पैसा) बेफजूली खर्चे के लिए नहीं बल्कि दान देने के लिए,और शक्ति परेशान या दूसरों को पीड़ा देने के लिए नहीं बल्कि रक्षा करने के लिए होती है। खुद के अन्तर मन में झांक कर देखो दूसरों के मन में मत झांको खुद को बदलो दुनिया बदलेगी । अगर मेरे विचारों से किसी को पीड़ा पहुंची हो तो माफी चाहता हूँ।धन्यवाद

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  21. Sabse jyada din kon jeeta hai

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  22. Aatamvisvas or satya va nirntar karmsheeta ke sath chalna hi jeevan hai,,

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  23. sachchai ke sath karm karna saphalta hai!

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